Tuesday, November 27, 2007

एपीपी हत्याकांड में कोन्त्रक्ट किलर के रुप में हूई नंदन की पहचान

बेगूसराय में चंदन की गिरफ्तारी से हुआ सनसनीखेज खुलासा Nov 27, 02:09 am बेगूसराय। अपर लोक अभियोजक रामनरेश शर्मा की हत्या न्यायालय परिसर में ही करने की साजिश थी। परंतु वहां हत्या में असफल हत्यारों ने उनके आवास पर जा उनकी हत्या कर दी। इसका खुलासा सोमवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में एसपी अमित लोढ़ा ने किया। हत्या में शामिल गिरफ्तार चंदन से रूबरू कराते हुए उन्होंने बताया कि हत्या का आदेश जेल में बंद मोख्तियारपुर निवासी कुख्यात अपराधी नंदन ने अपने सगे भाई चंदन को दिया था। एसपी श्री लोढ़ा के अनुसार आठ नवंबर को दस बजे सुबह जेल से मोबाइल पर दिए निर्देश में नंदन ने चंदन को बताया था कि घटना के सिलसिले में तीन आदमी उससे मिलेंगे। अपराधियों की एपीपी की हत्या न्यायालय परिसर में ही करने की योजना थी। योजनानुसार मोटर साइकिल पर सवार हो तीनों न्यायालय परिसर पहुंचे भी। परंतु वहां घटना को अंजाम देने में असफल रहे। न्यायालय से घर जाने के पंद्रह मिनट बाद ही हत्यारे स्व. शर्मा के आवास पहुंचे और उनकी हत्या कर दी। गिरफ्तार चंदन ने बताया कि वह मोटर साइकिल के साथ स्व. शर्मा के आवास के नीचे था तथा लूटन व मुकेश उनके आवास के दूसरी मंजिल पर जाकर उन्हे गोली मारी। गोली मारने के उपरांत तीनों मोटरसाइकिल से भागने में सफल रहे। एसपी के अनुसार चंदन होटल ब्लू डायमंड का कर्मचारी है तथा पुलिस ने उसे उसी होटल से गिरफ्तार किया है। चंदन का भी आपराधिक इतिहास रहा है। पुलिस द्वारा हत्या में प्रयुक्त मोटरसाइकिल भी बरामद कर लिया गया है। घटना के कारणों के बाबत पूछे जाने पर एसपी श्री लोढ़ा ने दो दिन बाद खुलासा करने की बात कही। उन्होंने कहा कि हम व हमारे पुलिस अधिकारी वैधानिक कसौटी पर कस अनुसंधान किये है। उन्होंने दावा किया कि घटना के सारे साक्ष्य इकट्ठें हो चुके है तथा कोई भी दोषी नहीं बच पायेगा। उन्होंने बताया कि इस मामले के उद्भेदन में डीएसपी पंकज कुमार सहित नगर थाना प्रभारी संजीव कुमार, मुफस्सिल थाना प्रभारी रंजीत कुमार, रिफाइनरी थाना प्रभारी उमाकांत, सिंघौल थाना प्रभारी मनोज कुमार, बलिया थाना प्रभारी संतोष कुमार की टीम की भूमिका महत्वपूर्ण रही।

Tuesday, November 13, 2007

रामनरेश शर्मा हत्याकांड:कलम पर भारी पडा बंदूक

दीपावली की पूर्व संध्या पर अज्ञात अपराध कर्मिओं ने बेगुसराय के लोक अभियोज़क श्री रामनरेश शर्मा को उनके पोखरिया स्थित आवास पर गोली मार कर हत्या कर दी। हत्या से जुडी खबरें हिन्दी साप्ताहिक ''सरजमीं ''पर पूरे विवरण के साथ उपलब्ध है। इस हत्याकांड ने न सिर्फ बेगुसराए बल्कि पूरे बिहार को स्तब्ध कर के रख दिया है। साप्ताहिक अंक के लिए सम्पर्क करें : संपादक सरजमीं ,स्टेशन रोड वार्ड नंबर १० बेगुसराय बिहार .

Friday, November 9, 2007

अक्षर्जीवी ब्लौग राइटर्स असोसिअशन बेगुसराय की तरफ से प्रकाश पर्व दीपावली के मंगल मुहूर्त बेला के अवसर पर पाठकों व शुभचिंतकों को हार्दिक शुभकामनाये

''असतो माँ सद्गमय तमसो माँ ज्योतिर्गमय '' में अन्तर्निहित सारों को प्रायोगिक रुप देता दीपावली न सिर्फ हिन्दुओं बल्कि सभी कौमों को ज्योति की प्रेरणा देते हुए समृधि का आशीर्वाद देता है। ''अक्षर्जीवी ब्लौग राइटर्स एसोसिअसन '' प्रकाश पर्व दीपावली के अवसर पर बेगुसराए के सभी वर्गों को अशेष शुभकामनाएं देता है।

Sunday, November 4, 2007

दीपावली पर प्रोफेसर अश्विनी केशरवानी की सोच

दीपावली का आगमन खुशियों के साथ साथ अनेक प्रकार की समस्याओं के साथ होता है। बढ़ती महंगाई और आर्थिक बोझ से दबे होने के कारण मध्यम तथा निम्न वर्गीय परिवारों के लिए यह त्योहार कई महीने के बजट को छिन्न भिन्न करने वाला होता है। तब मजबूरन कहना पड़ता है-'' दिवाला निकालने आयी दीवाली '' दीपावली हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार होता है, इसे तो मनाना ही है और जब इसे मनाना ही है तो महंगाई से बचकर क्यों न इसे सादगी पूर्वक मनाएं ? किसी धन्ना सेठ की तरह फिजूल खर्ची न करके जहां आवश्यक हो वहीं खर्च की जाए। रही बात लक्ष्मी जी के आगमन की, तो उन्हें आप अपनी सादगी से भी रिझा सकते हैं। लक्ष्मी जी किसी सेठ-महाजन के घर साफ सफाई के कारण प्रवेश करती हैं मगर वहां आपसी कलह के कारण सुख कम दुख ज्यादा होता है। लेकिन इससे आप न घबरायें, आपके घर भी लक्ष्मीं जी पधारेंगी। आइये इस महंगाई और दिवाला भरे माहौल में दीवाली सादगी से मनाने के बारे में विचार करें। दीपावली की तैयारी एक महीने पूर्व से शुरू हो जाती है। ऐसा लगता है जैसे इसका ही हमें इंतजार था। दीपों के इस पर्व के साथ घरों और दुकानों की साफ सफाई और रंग रोगन भी हो जाता है। साफ सफाई से जहां साल भर से जमते आ रहे कचरा और गंदगी की सफाई हो जाती है और ख्याल से उतरे कुछ जरूरी सामान और कागजात की छंटाई सफाई हो जाती है। व्यापारी वर्ग के लिए तो यह नये वर्ष की शुरूवात होती है। पुराने हिसाब किताब बराबर करना और नये खाता बही की शुरूवात जैसे लक्ष्मी आगमन का प्रतीक है। रंग रोगन से जहां मकानों और दुकानों की शोभा बढ़ जाती है, वहीं टूटे फूटे मकानों, दीवारों और सामानों की मरम्मत आदि हो जाती है। मान्यता भी यही है कि साफ सुथरे जगहों में लक्ष्मी जी का वास होता है और संभवत: लोगों का यह प्रयास लक्ष्मी जी को बहलाने फुसलाने का माध्यम भी होता है। इससे एक ओर तो धन्ना सेठों के घर चमकने लगते हैं वहीं दाने दाने को मोहताज लोग एक दीप भी नहीं जला पाते....तभी तो कवि श्री सरयूप्रसाद त्रिपाठी 'मधुकर' कहते हैं :- धनिकों के गृह सज स्वच्छ हुये, दीनों ने आंसू से पोंछा। माता का आंचल पकड़ बाल मिष्ठान हेतु रह रह रोता। लक्ष्मी पूजा की बारी है पर पास न पान सुपारी है। कार्तिक अमावस्या को मनाये जाने वाले इस त्योहार के प्रति पुराने जमाने में जो खुशी और उत्साह होता था उसका आज पूर्णत: अभाव देखा जा सकता है। आज दीवाली के प्रति लोगों की खुशियां कृत्रिम और क्षणिक होती है। जबकि पुराने समय में दीवाली के आगमन की तैयारी एक माह पहले से शुरू हो जाती थी। इस दिन सबके चेहरे पर रौनक होती थी। सभी आपसी भेद भाव को भूलकर एकता के सूत्र में बंध जाया करते थे। ऊँच-नीच, अमीर-गरीब, छूत-अछूत जैसा भेद नहीं होता था बल्कि आपसी समझ-बूझ से लोग यह त्योहार मनाया करते थे। पर्व और त्योहारों का संबंध आजकल मन से कम और धन से ज्यादा होता है। सम्पन्नता विशेष आयोजनों और त्योहारों को विभाजित कर देती है, विपन्नता तो महज जीवन को जिंदा रखती है और मरने भी नहीं देती। देखिये कवि मधुकर जी की एक बानगी :- चिंता विस्मृत हो गयी दुखद उत्साह अमित उर में छाया। धन दल विहीन नव नील गगन विस्मृत अतिशय मन को भाया। विहंसी निशि में तारावलियां जब जुगनूं की जमात चमकी। कुछ सहमे अचानक आ गयी यह अलस अमा रजनी काली। दीपों का यह त्योहार खुशी, आनंद और भाईचारा का प्रतीक माना जाता है पर बदलते परिवेश में इसकी परिभाषा फिजूलखर्ची और दिखावे ने ले लिया है। इससे मध्यम वर्गीय परिवारों का आर्थिक ढांचा बहुत हद तक चरमरा जाता है। हमारे समाज में उच्च-मध्यम और निम्न वर्गीय लोग रहते हैं। उच्च वर्ग का फिजूलखर्ची और भोंडा प्रदर्शन मध्यम और निम्न वर्गीय लोगों को बरगलाने के लिये काफी होता है। कुछ लोग तो इन्हें हेय समझने लगे हैं। निम्न वर्ग तो हमेशा यही समझता है कि अमीरों के लिये ही सभी त्योहार होते हैं। सबसे ज्यादा आर्थिक और सामाजिक बोझ मध्यम वर्गीय परिवारों के उपर ही पड़ता है। उनकी स्थिति सांप और छछूंदर जैसी होती है। वे त्योहारों को न तो छोड़ सकती है न ही उनसे जुड़ सकती है। मेरा अपना अनुभव है कि कुछ लोग इस कोशिश में रहते हैं कि अपनी दीवाली सबसे ज्यादा रंगीन और आकर्षक हो। इसके लिये वे अधिक खर्च करना अपनी शान समझते हैं। अपनी शान और अभियान को बनाये रखने तथा पड़ोसियों के उपर अपना रोब जमाने का यह प्रयास मात्र होता है। इससे न उसके शान और मान में बढ़ोतरी होती है, न ही लोग उनसे जुड़ पाते हैं। सामाजिक जुड़ाव के लिये आर्थिक सम्पन्नता का भोंडा प्रदर्शन के बजाय व्यावहारिक होकर सादगी से इस पर्व को मनाना उचित होगा। यह सच है कि दीपावली के आगमन से खर्च में बढ़ोतरी हो जाती है और पांच दिन तक मनाये जाने वाले इस त्योहार के कारण आपका पांच माह का बजट फेल हो जाता है। उचित तो यही होगा कि आप इसे अपने बजट के अनुसार ही मनायें। हर वर्ष आने वाला दीपावली अपने चक्र के अनुसार इस वर्ष भी आया है और भविष्य में भी आयेगा पर इससे घबरायें नहीं और सादगी पूर्ण सौहार्द्र वातावरण में मनायें। दूर दर्शिता से काम लें, इतनी फिजूलखर्ची न करें कि आपका दीवाला ही निकल जाये और न ही इतनी कंजूसी करें कि दीवाली का आनंद ही न मिल पाये..। कवि का भाव भी यही है :- हे दीप मालिके ! फैला दो आलोक तिमिर सब हट जावे। जल जावे भ्रष्टाचार-शलभ दुख की बदली भी छंट जावे रोगों से कोई ग्रसित न हो जठरानल से भी त्रसित न हो अनुभव करने सब लोग लगे हमने स्वतंत्रता है पा ली नवज्योति जगाने जीवन में आयी यह जगमग दीवाली --------------------- रचना, लेखन एवं प्रस्तुति, प्रो. अश्विनी केशरवानी राघव डागा कालोनी, चांपा-495671 ( छत्तीसगढ़ )

Friday, November 2, 2007

पत्रकार की पिटाई के विरोध में बिहार बंद रहा सफल:बेगुसराय के पत्रकारों ने भी समर्थन में पुतले जलाए

बिहार की राजधानी पटना में बृहस्पतिवार को पत्रकारों के एक समूह पर सत्तारूढ़ जनता दल यू के विधायक अनंत सिंह और उनके समर्थकों द्वारा किए हमले के विरोध में विपक्षी दलों द्वारा शुक्रवार को बंद के दौरान कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है, जबकि बंद को प्रभावी बनाने के लिए धरना प्रदर्शन के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी सहित 1584 व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया। बंद का मिलाजुला असर रहा। राज्य में कांग्रेस लोक जनशक्ति पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मा‌र्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, समता पार्टी और भाकपा माले ने राजद के बंद आह्वान का समर्थन किया था। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ए के सिन्हा ने यहां संवाददाताओं से बातचीत करते हुए दावा किया कि बंद का कोई भी असर नहीं रहा। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, लोजपा सांसद सूरजभान सिंह, राजद के प्रदेश अध्यक्ष अब्दुलबारी सिद्दीकी, लोजपा के विधान पार्षद संजय सिंह सहित अन्य लोगों को इसलिए हिरासत में लिया गया ताकि बंद समर्थक शांति भंग न कर सकें। दूसरी ओर, राबड़ी ने दावा किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस्तीफा दे देना चाहिए और अनंत सिंह को फांसी की सजा देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बंद पूरी तरह से सफल था और लोगों ने अपने आप इसमें हिस्सा लिया। राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति में तेजी से गिरावट के चलते नीतीश को इस्तीफा दे देना चाहिए। अनंत सिंह के आपराधिक पृष्ठभूमि को सभी लोग जानते हैं, इसलिये उन्हें फांसी की सजा दी जानी चाहिए। बेगुसराए में भी बंद का व्यापक प्रभाव दिखा सुबह से तीन बजे शाम तक परिचालन बिल्कुल ठाप रहा। इस घटना के विरोध में जिला पत्रकार संघ के पत्रकारों ने भी विरोध में जुलूस निकाला और कैंटीन चौक पर अनंत सिंह का पुतला फूंका। बंद से संबंधित तस्वीर इस ब्लोग पर उपलब्ध है।

बाहुबली विधायक अनंत सिंह ने एनडी टीवी के पत्रकार और फोटोग्राफर की जमकर की पिटाई :विरोध में कल बिहार बंद

पटना। बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल (यूनाइटेड) के बाहुबली विधायक अनंत सिंह और उनके गुंडों ने गुरुवार को विधायक आवास पर ही पत्रकारों पर कातिलाना हमला कर दिया। इन लोगों ने एनडीटीवी के पत्रकार प्रकाश सिंह और कैमरामैन हबीब को दो घंटे बंधक बना कर रखा। बंधक बनाये जाने की सूचना पर विधायक के घर पहुंचे अन्य पत्रकारों पर भी हमला हुआ, जिसमें एएनआई के अजय कुमार सहित कई लोग घायल हुए। घायलों को उपचार के लिए पीएमसीएच इमरजेंसी में भर्ती कराया गया है। बाद में सचिवालय थाने में पत्रकारों की तरफ से विधायक अनंत सिंह, मुकेश सिंह, विपिन सिंह तथा दो दर्जन अन्य के खिलाफ धारा 147,149, 307,342,427,323 व 27 आ‌र्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने विधायक को गिरफ्तार कर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी के समझ पेश किया। कोर्ट ने उन्हें चौदह दिनों की हिरासत में बेउर जेल भेज दिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार की तरफ भी त्वरित कार्रवाई हुई और विधायक के छह अंगरक्षकों को निलंबित कर दिया गया। पुलिस ने विधायक के चार अन्य गुडों को भी गिरफ्तार कर लिया। जानकारी के मुताबिक, शास्त्रीनगर थाना क्षेत्र में बुधवार की शाम को एक महिला का शव बोरे में बंद मिला। महिला के शव की पहचान नहीं हो सकी। लेकिन यह चर्चा हुई कि शव रेशमा खातून का है। उस महिला की हत्या को विधायक अनंत सिंह से जोड़ा जा रहा है। इस मामले में अनंत का पक्ष जानने के लिए एनडीटीवी के पत्रकार प्रकाश सिंह कैमरामैन हबीब के साथ उनके सरकारी आवास पर गये। वहां अनंत सिंह और उनके गुर्गो ने दोनों को बंधक बना लिया और मारपीट करनी शुरू कर दी। इसी बीच मौका पाकर कैमरामैन हबीब अली भागकर पास ही राज्य के पुलिस महानिदेशक के आवास पर पहुंच गये और इस संबंध में जानकारी दी। हबीब ने मीडिया के अन्य लोगों को भी फोन से सूचना दी। मीडिया के अन्य लोग भी श्री सिंह के आवास पर पहुंच गये। इससे उत्तेजित विधायक के समर्थकों ने उनके साथ भी मारपीट की जिसमें एएनआई के अजय कुमार समेत कई लोगों को गंभीर चोटें आयीं। विधायक के गुड़ों ने सभी को खदेड़-खदेड़ कर पीटा। खास बात तो यह रही कि घटना के तुरंत बाद पुलिस भी मौके पर पहुंच गयी लेकिन विधायक के गुर्गो को रोक नहीं पायी। किसी तरह सभी पत्रकार भागकर सचिवालय थाने पहुंचे। वहां पर उन्होंने जाकर जब सारी घटना बतायी तब आला अफसरों को घटना की सूचना मिली। थोड़ी ही देर में डीआईजी सुनील कुमार, एसएसपी कुंदन कृष्णन, एसपी नगर अनवर हुसैन, डीएसपी सचिवालय सहित कई अफसर मौके पर पहुंच गये। करीब दो घंटे तक पुलिस अफसर विधायक से उनके आवास में बैठ गुफ्तगू करते रहे। इधर पत्रकारों के आक्रोश को देखकर डीआईजी सुनील कुमार आये और उन्होंने बताया कि श्री सिंह के साथ उनके चार समर्थकों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार लोगों से पूछताछ की जा रही है और उनके खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई की जायेगी। उधर घायल पत्रकारों को देखने के लिए पक्ष-विपक्ष के नेता अस्पताल पहुंचने लगे हैं। प्रदेश राजद अध्यक्ष अब्दुल बारी सिद्दीकी सहित कई नेता थाने भी पहुंचे थे। शाम को उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राधामोहन सिंह आदि भी पत्रकार से मिलकर सांत्वना दी।