शीर्षक से विचलित होने की कोई बात नही है। ऐसा इसलिय कि यह कोई नई खबर थोरे ही है,राष्ट्रभाषा का दर्ज्ज़ा मिलने के बाद से अब तक हिंदी अगर उपेक्षित् और मृतप्राय बनी हुई है तो ग़ैर-हिंदी भाषियों की ज़िम्मेबारी तो छोरीए वैसे लोग इसके जिम्मेवार है जो अंग्रेज़ी खाना खा कर हिंदी पैखाना करने जाते हैं। आप अगर इन्टरनेट के जानकार है और आपकी रुचि किसी भी रुप मे हिंदी भाषा मे है तो आप भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय के लिंक्स पर किलिक करें वहाँ आपको हिंदी जो इस राष्ट्र की मातृभाषा है की वास्तविक दुर्दशा का पता चल जाएगा।इस वर्ष के हिंदी दिवस जैसे महत्वपूर्ण मौक़े पर प्रधानमंत्री की वेवसाईट पर अगर आप किलिक करें तो वहाँ अंग्रेज़ी में आपको नसीहत दीं जाएगी कि अपने दफ्तर मे हिंदी का प्रयोग कीजिए लेकिन यह नसीहत खुद हिंदी मे नही लिखकर अंग्रेज़ी मे लिखी हुई है। अब आप ही बताईय हुज़ूर.... कैसे होगा हिंदी का विकास?सचमुच अंधेर नगरी चौपट राजा। यह जानकारी कैसी लगी, हमे भी अवगत कीजिएगा।
Tuesday, September 25, 2007
Saturday, September 22, 2007
बेगुसराय :एक नज़र
उत्तर भारत के उत्तरी बिहार का उत्तर पूर्व जिला बेगुसराए मुख्यालय से ३० किमि० उत्तर बसही नामक बस्ती को जलप्रलय ने अपने आगोश में ले कर ग्लोबल वार्मिंग के ख़तरे से आगाह किया है , सिर्फ बेगुसराए ही क्यों देश के विभिन्न हिस्सों में प्रलयंकारी बाढ़ कि विभीषिका से इस सच को बखूबी समझा जा सकता है। प्रसंगवश दे आफ्टर टुमॉरो फिल्म का जिक्र इसलिए कि अगर मानव प्रकृति के साथ छेर छार करना बंद नहीं कर्ता है तो एक बसही क्या मानव समुदाए को सैन्क्रो बसही कूर्बान करने के लिये तैयार रहना होगा। इस वीभत्स जलप्रलय का प्रत्यक्ष गवाह बेगुसराए बना जहाँ मानव को प्रकृति के उद्दंड रूप के सामने नतमस्तक होना परा। बस्ती का जीवन सामान्य गति से चल रहा था , ग्रामीण अपने दैनिक क्रिया में लिप्त थे,गोधुली वेला में घर की महिलाएं सम्रिधि,और sampanntaa कि कामना दीया जला कर कर रही थी,बच्चे खेल के मैदान से अपने घर कि ओर लौट रहे थे। सबकुछ सामान्य था कि अचानक एक कर्नाभेदी आवाज़ ने सबों को चौंका दिया। उफ्नाती, इठलाती,उद्दंड और मन्मतंग नदी की श्वेत लहरों के बीच खुद को पाकर आश्चर्य और दंग के सम्मिश्रित भाव लियेलोग अप्रत्याशित रूप से आए इस संकट से खुद को बचा नहीं सके और फिर जिन्दगी और मौत के बीच हुये इस जंग में आखिर मानव को मुँह की खानी परी।इमारतों कि बुनियाद उफनती धाराओं को झ्हेल नहीं सकी और सम्पूर्ण अस्तित्त्व के साथ उसमें समां गई । रुदन,क्रन्दन और मर्मस्पर्शी चीत्कार के बीच परिजनों को बचाने की मुहिम में अनेकों आशियाने उजर गाए,जिन्दगी मौत के सामने विवश खरी थी। शोक और निराशा के सिवा और बचा भी क्या था?फिर विस्थापितों को सरकारी सहायता और निजी संगठनों क्र द्वारा की गई सहायता पर निर्भर रहकर जीवनयापन करने की मजबूरी बन गई । आज भूखों मरने की नौबत उत्पन्न हो गयी है, स्वास्थ्य कि समस्याओं से लरना पर रहा है उन्हें ऐसे विपरीत घरी में उनकी हर संभव सहयेता कैसे हो यह प्रश्न मुँह बाए खरी है?मौत के साथ जिन्दगी की इस लराई ने अनेक अन्नुत्तरित प्रश्न छोर गए हैं जिनका जवाव दिख तो नहीं रहा है हाँ कुछ विशेष प्रयास कि अवश्यक्ता जरूर दिख रही है। आप कितने मददगार साबित हो सकते हैं कृपया हमे अवगत अवश्य करावें ..................
प्रस्तुतकर्ता Anonymous पर 12:56 AM 0 टिप्पणियाँ
Friday, September 21, 2007
Thursday, September 20, 2007
खगरिया मे प्रेम-प्रसन्ग मे दो ने मौत को गले लगाया.
चौथम थाना अंतर्गत पश्चिमी बोरने पंचायत के नवटोलिया गांव में एक प्रेमी-प्रेमिका ने शादी के बंधन में बंधने से असफल होने पर जहर खाकर जान दे दी। घटना मंगलवार को घटी। मालूम हो कि नवटोलिया के बुलाकी साह का 18 वर्षीय पुत्र मुकेश कुमार और इसी गांव के रजनी देवी की 15 वर्षीय पुत्री पूनम एक दूसरे से प्रेम प्रसंग में बंधे हुए थे। उक्त प्रेमी-प्रेमिका सोमवार को एक-दूसरे के लिए जीने-मरने की कसमें खाकर प्रेमी मुकेश के घर में बंद हो गये। परंतु, समाज के द्वारा इस संबंध को मान्यता नहीं देने के डर से अंतत: दोनों ने थायमेट खाकर अपनी इहलीला समाप्त कर ली। जहर खाने की जानकारी मिलने के बाद लड़की की मां के प्रयास से इन दोनों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चौथम लाया गया। जहां उपचार के दौरान पूनम की मौत मंगलवार की रात्रि 11 बजे व मुकेश की मौत 1.30 बजे हो गयी। पुलिस के सामने दिये ब्यान में मुकेश ने कहा कि उन दोनों की अंतिम इच्छा एक-दूसरे से शादी की थी। यद्यपि प्राप्त जानकारी के अनुसार मृतक मुकेश ने लड़की की मांग में सोमवार को सिंदूर डाल दिया था। मालूम हो कि मुकेश घर पर अकेले रहता था। उसके माता-पिता खगड़िया में व्यवसाय करते है। इधर, इस संबंध में स्थानीय थाना में एक मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने भी इस घटना को प्रेम प्रसंग का मामला बताया है। (साभार:दैनिक जागरण)
प्रस्तुतकर्ता Anonymous पर 12:41 PM 2 टिप्पणियाँ
Tuesday, September 18, 2007
ऐसा घोटाला और कहाँ ?
मृत के नाम पर अनाज उठाव कराने वालों पर प्राथमिकी दर्ज Sep 19, 09:42 pm बलिया (बेगूसराय) साहेबपुर कमाल थाना क्षेत्र के पचवीर पंचायत के मृत लोगों के नाम पर अन्नपूर्णा योजना का खाद्यान्न उठाव कराने वाले पहचानकर्ता वार्ड सदस्य के पति मो. महताब को नामजद अभियुक्त बनाकर साहेबपुर कमाल थाना में प्रखंड कृषि पदाधिकारी शिव कुमार ठाकुर ने 115/07 प्राथमिकी दर्ज करायी है। प्राथमिकी में कृषि पदाधिकारी ने दर्ज कराया है कि पंचायत के लाभार्थी मो. तस्लीमा की मृत्यु छह जून 07 को गयी। पंचायत सचिव विजय कुमार द्वारा मृतक का नाम मृत्यु पंजी में दर्ज नहीं किया गया। इसके बाद सात सितम्बर को वार्ड सदस्या के पति महताब आलम पहचान कर्ता बनकर मृतक के नाम पर 12 किलो चावल और 10 किलो गेहूं का उठाव करवाया एवं हस्ताक्षर उर्दू में किया। जब इसकी पुष्टि जानकारों से मिली और मामला सही पाया गया तो उसके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी गयी। साभार: dainik जागरण,बेगुसराए
प्रस्तुतकर्ता Anonymous पर 9:56 PM
Sunday, September 16, 2007
नीतिश जीं बेगुसराए एसपी के कारन राजनीति से सन्यास लेना चाहता हूँ:भोला सिंह
जीं हाँ ,यह उक्ती बेगुसराय के नगर विधायक भोला सिंह का है जिन्होंने मुख्यमंत्री नीतिश कुमार को प्रेषित पत्र में अपनी विवशता का इजहार करते हुए सलाह मांगा है कि क्या वे विधानसभा कि सदस्यता से इस्तीफा दे कर राजनीति से सन्यास ले ले?पत्र में नगर विधायक ने कहा है कि बेगुसराए एसपी उनको मानसिक रूप से प्रतारित कर उनको परेशान कर रहे हैं। इतना ही नहीं वे अपनी प्रशासनिक कार्यशैली से जिला की जनता के लिए परेशानी का सबब भी बने हुए हैं। पत्र में उन्होने आगे लिखा है कि बछवारा का गोलू हत्याकांड हो या पीर्नगर गम्हरिया के वासुदेव महतो के दो बेटों की नृशंस हत्या या महाराथ्पुर हत्याकांड ,वर्तमान एसपी की कार्यशैली अजीबोगरीब रही है। जिला मुख्यालय से महज़ ५ किलोमीटर दूर महाराथ्पुर हत्याकांड ने पुरे बेगुसराय को दहला दिया था,लेकिन एसपी साहब घटनास्थल पर जाना मुनासिब नहीं समझे। और तो और अब तक पीरित परिवार को सुरक्षा भी उपलब्ध नही करवाया गया है। प्रेषित पत्र में भोला सिंह की विवशता यह सोचने पर बाध्य करती है कि क्या बिहार वास्तव में नौकरशाहों के इशारे पर चल रही है ,पुलिस अपनी मनमर्जी से सूबे के किसी भी हिस्से में कहर बनाकर टूट रही है लेकिन मुख्यमंत्री पुलिस के पीपुल फ्रेंडली होने का दावा करते हैं। विधायक को परेशान करने का मामला भले ही मुख्यमंत्री जीं पर कोई असर नही डाले लेकिन भागलपुर काण्ड और थरमल हत्याकांड मे बिहार की पुलिस ने जो अत्याचार किए हैं उसपर उनको आवश्यक कदम ज़रूर उठाना चाहिए। आप क्या सोच रहे हैं हमें भी अवगत करिएगा।
प्रस्तुतकर्ता Anonymous पर 12:16 AM 0 टिप्पणियाँ
लेबल: hi
Saturday, September 15, 2007
चांद खरीदोगे इधर आओ.............
क्या चांद सचमुच बिक्नेवाला है? क्या कोई व्यक्ती उसे खरीद सकता है? भले ही यह सवाल आपको अटपटा लगता हो लेकिन हक़ीकत यह है कि चांद की विक्री शुरू है और अगर आप की रूचि चांद खरीदने मे है तो आप हमसे सम्पर्क करे ,हम आपको ना सिर्फ चन्दा मामा का मलिक बना देंगे बल्कि आपको चांद के पार जाने का सपना भी साकार कर देंगे। डेनिस हॉप नाम का आदमी कलिफोर्निया का रहने वाला था और एक असफ़ल अभिनेता था। वह बेरोज्गारी से लड रहा था,तभी उसके मन मे एक विचार आया कि अगर वह चान्द पर जमीन खरीद्ने मे सफ़ल हो जए तो उसकी सारी समस्या खत्म हो जाएगी। और वह इस पर काम करना शुरु कर दिया। तभी उसे पता चला कि १९६७ मे सन्युक्त राष्ट मे एक सन्धी पारित हुइ थी , जिसके मुताबिक कोइ भी सरकार आकाश से सम्बन्धित सम्पत्ती पर अपना कब्जा नही जमा सक्ती है,होप को इसी मे सम्भाव्ना नज़र आइ और उस्ने अन्य ग्रहो तथाउपग्र्हो की रजिस्त्री अमेरिका के सरकार से करवा लिया। और प्रचार के लिये लुनर एम्बेसी की स्थापना कर डाला। जो भी होप से चान्द पर जमीन खरीद्ता है उसे मून मैप के साथ लूनर constitution ऎंड bill ऑफ़ rights दिया जाता है ताकि वह अप्ना कानूनी दावा कर सके। तथा लोगो को आकर्शित कर सके। वाह रे दुनिया आप भी तैयार हो जाइए और जब घर बनबाइएगा तो हमे भी बुलाइएगा तब तक के लिए बाइ बाइ......................................................................................
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लेबल: sell
Thursday, September 13, 2007
राम सेतु विवाद
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लेबल: SPIRIT
Tuesday, September 11, 2007
नेटवर्किंग और छात्र समुदाए
बेगुसराय जिला आजकल विभिन्न नेटवर्किंग कंपनी का अखारा बना हुआ है। विश्वविख्यात कंपनी एम्बे बाज़ार कई मापदंडों को पुरा करती है और वस्तु विनिमे में संलग्न है,लेकिन एजुकेसन के नाम पर चलने वाली कंपनी के इरादों को देखकर ऐसा लगता है जैसे ये पुरी तरह से लुटने का काम कर रही है । छात्रों को कंप्युटर एजुकेसन देने के नाम पर मोटा रकम तो वसूला जा ही रह है, उनकी एकेद्मिक योग्यता को भी ख़त्म किया जा रहा है॥ साईबर कैफे पर बैठ कर बिना टीचर कि सहायता से आखिर बच्चे कैसे पढेंगे जिन्हे कंप्युटर का एबीसी भी पता नही है। लेकिन कम्पनी वाले लाखों रूपए कमाने का झांसा देकर छात्रों को दिग्भ्रमित कर राहे हैं। और मणि मेकिंग प्लान के तहत उनके भविष्य के साथ खिलवार कर राहे हैं। चुंकि भारत में ऐसे कानून नहीं हैं जो इन पर अंकुश लगाए लेकिन आम आदमी को जागरूक होने कि जरुरत है और खासकर बेगुसरे के छात्रों को जो इनके चिकनी चुप्री बातों में अपना कार्रिअर बर्बाद करने पर तुले हैं। ७००० रूपी दे कर २५ लाख कमाने का दावा करने वाली कंपनी को यह पता नहीं है की भारत कि आधी आबादी अभी भी दो जून रोटी कि मोहताज है और आबादी का एक बरा हिस्सा कम्प्यूटर फिल्ड जैसे महंगे फिल्ड में अपना कैरीअर कतई नही बना सकता है.जिनके पास रोती की समस्या हो वह साईबर कैफे का क्या इस्तेमाल करेगा यह सोचने लायक प्रश्न हो सकता है। आप क्या सोच राहे हैं हमे अवगत जरूर करिएगा।
प्रस्तुतकर्ता Anonymous पर 8:31 AM 1 टिप्पणियाँ
लेबल: hai