Saturday, February 2, 2008

आर के करंजिया के निधन से पत्रकारिता के एक युग का अंत

''बोल हल्ला'' नामक ब्लोग पर एक दर्दनाक खबर देखा,आशीष महर्षी ने भाव भीनी शब्द पुष्प अर्पित किये हैं :- आर के करंजिया जी अब हमारे बीच नहीं रहे। वैसे भी इस दुनिया को किसी के रहने को और नहीं रहने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। दुनिया अपनी गति से चलती रहेगी। और हम सब उन्‍हें भावभीनी श्रद्वांजलि देकर अपने अपने फर्ज को पूरा कर लेंगे। लेकिन फर्क उन्‍हें पड़ता है जो कि दुनिया बदलना चाहते हैं। जो एक बेहतर भविष्‍य की कल्‍पना करते हैं और इस दिशा में कार्य करते हैं। करं‍जिया जी का जाना किसी अखबार में कहीं कोने की खबर बन सकता है लेकिन बोल हल्‍ला और उससे जुड़ी मानसिकता वालों के लिए यह एक खबर नहीं है। बल्कि यह एक युग का अंत है।करंजिया जी के बारें में सबसे मैने अपनी पत्रकारिता की पाठशाला में पढ़ा था। हमारे एक शिक्षक ने हमें पढ़ाया था कि भारतीय पत्रकारिता के क्षेत्र में करंजिया जी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। कल शाम को जब उनके निधन का समाचार मिला था तो अचानक साढ़े तीन साल पहले के वो दिन याद आ गए, जब मैं माखन लाल पत्रकारिता विश्‍वविद्यालय में पत्रकारिता की शिक्षा ले रहा था। उस समय करंजिया जी मेरे लिए एक अध्‍याय थे । आज मैं उन्‍हीं के शहर में हूं और महसूस कर सकता हूं कि आज से कई दशक पहले उन्‍होंने कैसे पत्रकारिता की थी। भारत में खोजी पत्रकारिता का यदि कोई पितामाह है तो वह सिर्फ और सिर्फ आर के करंजिया जी हैं। करंजिया जी ने खोजी पत्रकारिता की उस समय शुरुआत की थी जब इस देश में इस शब्‍द को कोई जानता ही नहीं था।भारत में पहले टेबलायड समाचार पत्र की शुरुआत करने वाले आर के करंजिया जी का कल मुंबई में निधन हो गया। संभवत: यह दुनिया का पहला संयोग होगा कि करंजिया ने अपने जिस प्रसिद्ध अखबार ब्लिट्ज की शुरुआत की वह भी एक फरवरी को हुई और उनका खुद का देहांत भी एक फरवरी को हुआ। 15 सिंतबर, 1912 को जन्‍मे करंजिया उस समय के जाने माने फिल्‍म पत्रकार बीके करंजिया के भाई थे। करंजिया मुंबई में अपनी पुत्री और सिने ब्लिट्ज की संपादक रीता मेहता के साथ रहते थे।करंजिया की लेखनी आक्रामक ढंग की थी जिसने देश विदेश में उनके पढ़ने वालों की संख्‍या में जोरदार इजाफा किया। दूसरे विश्‍व युद्ध में उन्‍होंने युद्ध संवाददाता की भूमिका निभाई। 1945 में उन्‍होंने इंडियन नेशनल आर्मी और उसके मुखिया नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विशिष्‍ठ फोटो छापकर अपने को सभी के बीच चर्चा में ला दिया। उन्‍होंने विंस्‍टन चर्चिल, चार्ल्‍स दी गाल, ख्रुश्‍चोव, जवाहर लाल नेहरु, टीटो, यासर अराफत, ए जी नासिर समेत दुनिया की कई महान हस्तियों का इंटरव्‍यू लिया। भारतीय शेयर बाजार में हुए पहले आर्थिक घपले के अभियुक्‍त हरिदास मूंदडा के साथ प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी की मिलीभगत को करंजिया ने उजागर किया। बिल्‍ट्ज के पूर्व संपादक सुधीन्‍द्र कुलकर्णी का इंडियन एक्‍सप्रेस में करंजिया पर छपे लेख का लिंक यहां पढ़े। बोल हल्‍ला की ओर से इस महान पत्रकार को भावभीनी श्रद्धां‍जलि। Posted by आशीष महर्षि at 3:22 PM 1 comments Links to this post