Tuesday, July 29, 2008

काश देश का हर गाँव ऐसा करता..

अरुण गुप्ता ,दैनिक जागरण से सम्बद्ध हैं। ये ''कुछ हट के'' नम के ब्लॉग के मोडेरेटर भी हैं। अरुण अपने ब्लॉग पर गाँव से जुड़ी बात को शिद्दत से उठाते हैं.उन्होंने एक ऐसे गाँव की चर्चा की है जहाँ के लोगों ने नशा के विरोध में कुछ ऐसे कदम उठाए:-

लोहरदगा के रोनिहा गांव में एक ऐसा निर्णय लिया गया है जो अपने आप में एक मिशाल है। अगर वहां कोई भी शराब पीते पकड़ा गया तो उसे 151 रुपये का जुर्माना भरना होगा। यहां यह सामूहिक निर्णय लिया गया है और इस निर्णय के खिलाफ कोई भी चूं-चपड़ नहीं कर सकता।यह निर्णय उस गांव के खेल की खोई प्रतिष्ठा को वापस लाने के लिए लिया गया जहां अब हो रही नशेबाजी, जिसके कारण वहां खिलाडि़यों की संख्या में कमी हो रही है। शाम होते ही खेल के मैदान में दौड़ लगाने वाले युवाओं ने जब हडि़या-शराब से नाता जोड़ उठक-बैठक और फुटबाल में किक लगाना छोड़ दिया तो गांव के लोग चौंक गए।गांव के लोगों ने इस खोज-पड़ताल शुरू की तो यह सामने आया कि युवा पीढ़ी नशे का शिकार हो रही है। इसको एक गंभीर मामला मानकर गांव के लोगों ने बैठक की और सामूहिक निर्णय में यह तय किया गया कि नशा करते अगर कोई पकड़ा गया तो उसे 151 रुपये का जुर्माना भरना होगा।साथ ही शराब, सिगरेट-बीड़ी और गुटखा पर भी पाबंदी लगा दी गई और जुर्माने में मिली रकम से गांव का विकास किया जाएगा यह निर्णय लिया गया जो एक अच्छा कदम है। युवाओं का रुझान रचनात्मक कार्यो के प्रति घटता जा रहा था सो, यह कदम उठाया गया। किशोरों ने भी इस निर्णय को मानते हुए खुद को नशे से दूर रखने का निर्णय लिया है। कुडू प्रखंड के रोनिहा गांव में पिछले दिनों हुई बैठक में इस आशय का निर्णय लिया गया। पांच साल पहले इस गांव में एक बेहतरीन टीम हुआ करती थी। प्रखंड से जिला तक में इस टीम का जलवा था, लेकिन पिछले कुछ वर्षो से लड़कों का उत्साह कम होता जा रहा था। इस वर्ष किसी भी ग्रामीण फुटबाल प्रतियोगिताओं के लिए जब गांव में फुटबाल टीम तैयार नहीं हो पायी, तो गांव के पूर्व खिलाडि़यों और बुद्धिजीवियों को इस समस्या की जड़ समझ में आयी।राजकुमार भगत, भरत उरांव, सुनील उरांव, बाबू लाल भगत, बोलो भगत, महेन्द्र उरांव आदि ने ग्रामीणों को एकजुट कर इस मुद्दे पर चर्चा की। इसके बाद सर्वसम्मति से गांव को नशे से दूर रखने का निर्णय लिया गया। आठ सौ की आबादी वाले इस गांव में किया गया यह प्रयास चर्चा में है अगर ऐसा कदम आज के युवा पीढ़ी उठाने लगे तो हो सकता है हम अपने समाज को नशा-मुक्त समाज बना सकते है। लेकिन आज के युवा पीढ़ी नशा को अपना स्टेटस बना रखे है।

1 comment:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत प्रेरक लेख है।काश! ऐसा हो सके।