Sunday, March 30, 2008

संगीता की मदद के लिए ये लोग खुलकर सामने आए.....

12 comments: Anonymous said... mera koi blog account nahi hai.begusarai ka hun,bhadas ko roj padhta hun.manish ji ki bebak lekhni ko varshon ko janta hun .yhan bhi garda chhora die hain bhai ji.divakar sharmabarauni,begusarai 28/3/08 1:34 PM suresh neerav said... मनीष राज आपका रिपोताज पढ़ा। समाज का बेहद कड़वा और जघन्य सच जिस बेबाकी और निडरता के साथ आपने उघाड़ा है,वह काबिले तारीफ है। भाई मेरी बधाई।सुरेश नीरव 28/3/08 3:41 PM हरे प्रकाश उपाध्याय said... yar gajab hai...batana bhaee kya kiya jae..? 28/3/08 4:25 PM Pankaj Parashar said... बेहद हौलनाक। हिलाकर रख देनेवाला ऐसा सच जो फिल्म की तरह आंखों के आगे चलता रहा और रौंगटे खड़े हो गए। बताइए कि ऐसा क्या जाए जिससे यह मामला बेहतर और सम्मानजनक ढंग से हल हो। 28/3/08 4:34 PM MANISH RAJ said... ISI SAMASYA KA HAL HI TO KHOJ RAHA HUN PANKAJ DADA,HARE BHAIYAA ,NIRAV DA SAHIT SABHI BHADASI JARUR EK NISHKARSH TALAASHEIN.KYUNKI VAH MAHILA AUR USKE BACHCHE KI JINDGI KO SACHMUCH SAHAANUBHUTI KI JARURAT HAI. 28/3/08 6:27 PM डा०रूपेश श्रीवास्तव said... मनीष भाई,संगीता बहन से कहिए कि अब वो किसी हाल में अपने आप को अकेला न महसूस करें हम सब उनकी इस लड़ाई में उनके साथ हैं और उन्हें किसी सिम्पैथी,एलोपैथी या होम्योपैथी की जरूरत नहीं है बल्कि उनके साथ जाइए और जिले पुलिस उच्चाधिकारियों को साथ लाकर उस हरामी के पिछवाड़े में खजूर और ताड़ के पेड़ घुसा दीजिये बांस के मान का नहीं है वो सुअर का पिल्ला । अगर पुलिस साथ आने में आनाकानी करे तो खुद ही कलम कागज एक किनारे रख कर पहले उसे लतिया दीजिये तब तो पुलिस आयेगी हां होगा बस इतना कि झगड़ा संगीता बहन की तरफ़ से मुड़कर आप की ओर आ जायेगा पर इसकी परवाह मत करिये । पिछले तीन दिन से यशवंत दादा और हम लोग मुम्बापुरी के हरामियों से(सज्जनों से भी)मिल रहे थे तो समय नहीं मिला कि नेट पर आ सकूं हमारी तो भविष्य की योजना ही यही है कि एक भड़ासी-ट्रबल-शूटर कम्युनिटी बनाई जाए कि अगर स्याही से लिखने से काम न चले तो स्याही थूथुन पर पोत दी जाए और अगर इससे भी काम न चले तो पिछवाड़े कलम घुसा दी जाए और अगर इससे भी काम न हो तो खुद सिर में तेल लगा कर उसके पीछे घुस जाएं और साले का वजूद आत्मा तक हिला कर आएं ताकि अगले कई जन्मों तक याद रहे कि भड़ासियों से पंगा लिया था । भड़ास के स्पोक्सपर्सन की हैसियत से आपको यह भी अधिकार है भाई कि आप यह सब कर सकें, हम हाथों से लिखते हैं और लातों से समझाते हैं। उस भाभी के भड़वे को भी जरा समझा दीजिये। मनीषा दीदी कह रही हैं कि अगर फिर भी न समझे तो वो उसे लाकर अपनी जमात में शामिल कर लेंगी और उसकी सुरसा भाभी को WWF के पहलवानों के पास भिजवाने के लिये चंदा करेंगी ताकि प्यासी आत्मा की प्यास पूरी तरह मिट जाए ।जय जय भड़ास 29/3/08 10:40 AM विनीत उत्पल said... manishjee, aap kiran bedi se sampark kar sakte hain. unhone is mamale me aik website bhee shuru kiya hai. vah jarur is mamle me aapko satik dish dengee. 29/3/08 11:19 AM sushant jha said... दिल दहलानेवाली घटना है...हम संगीता के साथ हैं... 29/3/08 12:32 PM Pankaj Parashar said... प्रिय भाई, मैंने किरण बेदी जी और केंद्रीय महिला आयोग को इस मामले की जानकारी दी है, राज्य महिला आयोग, पटना को भी इसके समाधान के तुरंत इनीशियेटिव लेना चाहिए। मुझे उम्मीद है इस समस्या का जरूर अच्छा और सम्मानजनक हल निकलना चाहिए। 29/3/08 12:57 PM मुनव्वर सुल्ताना said... मनीष भाई,इस देश में अनगिनत संगीताएं हैं क्या महिला आयोग में सब सूरदास और गांधारियां ही हैं ? इन संगीताओं को मदद के लिये भड़ास की शरण में क्यों आना पड़ता है ? ऐसे आयोग और अधिकारी आम जनता के लिए सुलभ क्यों नहीं हैं ? मुख्य समस्या तो ये है कि कानून है उसका पालन करने वाले और करवाने वाले लोग नहीं हैं वरना सब ठीक रहे । देखिए किरण बेदी क्या करती हैं.....भड़ास ज़िन्दाबाद 29/3/08 6:42 PM DEEPAK said... manish ji kya karoon . khagaria jaise jila men jahan internet sixty rs per hour aur vo bhi akela nahin chalane ka sart khair maine aapkee report ko padha aur man to kiya ki us aavara pati ko turat parbhaw se jail men band karvane ki muhim suroo karoon. lekin is ek sarabi pati ko sudharne se kam nahin banega . hamen us madhyayugin samajik mansikta se jakre samaj ko jagana hoga jahan pati ko parmeshwar ke nam par aurat ke saath kuchh karne ki aajadi hoti hai. aab yah chalne wala nahin. is larai ko aap aage badhain main saath hoon. kuchh bhraston ko pardaphas karna hai khagaria men jahan yojnaon men loot maacha hai. 29/3/08 9:30 PM rakhshanda said... Sangeeta ki aap beeti padh kar aankhon mein aansu aa gaye,ye kisi ek aorat ki daastaan nahi hai,village women ki zindgi aaj bhi jaanvaron se badtar hai...khuda kare usey jald insaaf mil sake...ek baat jo main Manish bhaiyaa se specially kahna chaahungi..aapke dil mein aisi bebas aor dukhi aorton ke liye jo dard hai wo taareef ke kabil hai,usey sataane vaalo ke liye dil betahasha gusaa aor nafrat mahsoos hoti hai lekin kya us ke zaroori hai ki ham aisi lang ka prayog karen?aap se request hai ki pls aisi bhasha se parhez karen...i know ki main aapki kaabliyat ke samne kuchh bhi nahi lekin main apne bhai se ek request to kar sakti hun na? 30/3/08 12:11 PM Post a Comment Newer Post Older Post Home Subscribe to: Post Comments (Atom)