Tuesday, January 22, 2008

हादसा का गवाह बन कर रह गया है भगवानपुर से संजात जाने वाली मुख्य पथ

कुशाशन की असहनीय पीडा को झेलकर बिहार के निवासिओं को ''सुशासन'' के दौर ने थोडी राहत तो जरूर दी है,किन्तु आम-अवाम अभी भी मूलभूत समस्याओं के आगोश में जकडा उद्धारक की तलाश में स्वप्निल ख्वाब देख रहा है। जी हाँ हम बात कर रहे हैं, उत्तर भारत के उत्तर बिहार के उत्तर पूर्व जिला बेगुसराय की जहाँ की एक बड़ी आबादी आज भी मौलिक संसाधनों के लिय तरस रही है लेकिन कथित सुशासन की सरकार उनकी समस्याओं के प्रति आज भी सम्वेदानाशुन्य बनी है,फलतः लोगों का आक्रोश भी झेलना पड़े तो कोई नई बात थोडे ही होगी। जिला मुख्यालय से लगभग ३० किलोमीटर भगवानपुर प्रखंड आज भी अनगिनत समस्याओं के दौर से गुज़रने को विवश है,बदले में आश्वासन की झूठी कहानी गढ़ने वाले उन तथाकथित नेताओं और सरकारी महकमाओं के कान पर जू तक नही रेंगती है। स्वास्थ्य की समस्या हो या बिजली ,करोरों रूपए की लागत से बनने वाला नलकूप योजना हो भगवानपुर विकास के हर पायदान पर पीछे खडा है।इतना ही नही अन्य सवाल भी मुँह बाय खडा है जिसका उत्तर तो फिलहाल दिख नहीं रहा है। भगवानपुर को संजात से जोड़ने वाली मुख्य सड़क पर अगर नीतिश जी को यात्रा करने का मौका मिल जाये तो उन्हें ''सुशासन'' की परिभाषा मिल जायगी। वर्षों से उपेक्षित पडी इस सड़क पर जब केन्द्र सरकार मेहरबान हुई तो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योज़ना के अंतर्गत इसकी स्वीकृति मिल गयी लेकिन प्रशासनिक सम्वेदंशुन्यता ने इरादों पर पानी फेर दिया। संवेदक अवधेश सिंह उर्फ़ लोहा सिंह की हत्या ने इस योज़ना पर ग्रहण लगाने का काम किया लेकिन अब तक कोई विशेष पहल नहीं दिख रही है। समस्या जस का तस बना हुआ है, कई महत्वपूर्ण नेताओं का गृह क्षेत्र तक जाने वाली यह सड़क कब अपना अस्तित्व वापस ला पाती है यह तो भविष्य के गर्भ में है,लेकिन यक्ष प्रश्न यह है कि पूर्व मंत्री सह पूर्व सांसद एवं वर्त्तमान विधायक रामदेव राय ,वर्तमान प्रखंड प्रमुख ओरशील पासवान ,पूर्व प्रमुख कृष्ण कुमार राय ,जिला जनता दल(U) के महासचिव गुंजन कुमार और न जाने कितने महत्वपूर्ण लोगों को मुख्यालय से जोड़ने वाली यह सड़क कब अपना अस्तित्व वापस ला पायेगी? ............चंदन प्रसाद शर्मा (ब्लोग-लेखक)