Friday, January 4, 2008

बस इतना ही काफी है।

दो गज कफ़न का टुकड़ा तेरा लिबास होगा।दो गज कफ़न का टुकड़ा तेरा लिबास होगा।जायेगा जब यहां से कुछ भी न पास होगा॥कंधे पर धर ले जायें, परिवार वाले तेरे।यमदूत ले पकड कर डालेंगे घेरे घेरे॥पीटेंगे छाती अपनी, कुनबा उदास होगा।दो गज कफ़न का टुकड़ा तेरा लिबास होगा।चुन चुन के लकड़ियों मे रख दें तेरे बदन को।आकर झट उठा लें श्मसानी तेरे कफ़न को।देवेगा आग तुझमे बेटा जो खास होगा॥दो गज कफ़न का टुकडा तेरा लिबास होगा।मिट्टी मे मिले मिट्टी, बाकी ना कुछ भी होगा।सोने सी तेरी काया जल कर के खाक होगी।दुनिया को त्याग, तेरा मरघट में वास होगा।दो गज कफ़न का टुकडा तेरा लिबास होगा॥हरी का नाम लेके, भव सिन्धु पार होते।माया के मोह में फ़ंसकर, जीवन का मोल खोते॥प्रभु का नाम जप ले, बेडा जो पार होगा।जायेगा जब यहां से कुछ भी ना पास होगा॥धन्यवादअंकित माथुर...