Saturday, July 26, 2008

इस गली में बालिका शिक्षा की असली तस्वीर दिखती है...दैनिक जागरण बेगुसराय के रिपोर्टर ने दिखाया सच

  • *बेगुसराय का एक मात्र महादलित और अतिपिछडा वर्ग की पंचायत कुसमहौत की आठ हजार की आबादी में एक भी लड़की मैट्रिक पास नही

  • सदर प्रखंड के एक मात्र महादलित व अतिपिछड़ा वर्ग की पंचायत कुसमहौत में आज भी उच्च शिक्षा की किरण नहीं पहुंची है। पंचायत की करीब आठ हजार की आबादी में एक भी लड़की मैट्रिक पास नहीं है। यहां की लड़कियों के मैट्रिक पास से वंचित रहने का मुख्य कारण उच्च विद्यालय का अभाव बताया जा रहा। यहां से करीब आठ किलोमीटर दूर चांदपुरा में उच्च विद्यालय है जहां जाने-आने की कोई सुविधा नहीं। लड़कियों के मैट्रिक पास न रहने से अच्छे परिवार में रिश्ता तय करने में भी परेशानी आती है। चाहे वह खूबसूरत ही क्यों न हों। बताते चलें कि पंचायत में 1956 में एक प्राथमिक विद्यालय की स्थापना की गयी थी। जिसमें वर्तमान में 12 शिक्षक व 758 विद्यार्थी है। जिसमें 428 लड़कियां ही नामांकित है। इससे यहां लड़कियों में पढ़ने के प्रति पैदा हुई ललक का अंदाजा लगाया जा सकता है। उच्च विद्यालय के नहीं रहने से लड़कियां मध्य विद्यालय से आगे की पढ़ाई नहीं कर पाती है। सातवीं कक्षा की छात्रा किरण कुमारी, पूनम कुमारी, माधुरी कुमारी छठे कक्षा की चांदनी कुमारी, काजल कुमारी को गांव में उच्च विद्यालय नहीं रहने का अफसोस है। उनका कहना है कि अभिभावक आवागमन व सुरक्षा कारणों से उन्हे बाहर पढ़ने के लिए नहीं भेज पाते है। पंसस पवन राय भी स्वीकारते हैं इस पंचायत के पिछड़ेपन की मुख्य वजह अशिक्षा है। उन्होंने यह भी बताया कि अभी यहां के लोग 70 प्रतिशत निरक्षर है। पंचायत के महादलित मुखिया उमदा देवी ने का कहना है कि यह पंचायत शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली हर दृष्टि से उपेक्षित है। मुखिया बताती है कि इसी वर्ष 3 फरवरी को जद यू कार्यकर्ता सम्मेलन में स्थानीय सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह से ग्रामीणों ने कस्तुरबा गांधी बालिका उच्च विद्यालय की मांग की गयी थी। उन्होंने इसकी स्वीकृति दिलाने का आश्वासन भी दिया था। लेकिन स्वीकृति नहीं मिली। पंचायत के मुखिया उमदा देवी, पंसस पवन राय एवं समस्त ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कस्तूरबा गांधी बालिका उच्च विद्यालय की स्वीकृति प्रदान करने की मांग की है।

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