Tuesday, July 15, 2008

प्रधान जी डौट कॉम का बेगुसराय में शुभारम्भ :गाँव में होगा नया प्रयोग

सूचना नही समाधान
गाँव की समस्या को केन्द्र तक पहुंचाकर त्वरित समाधान का नया मीडिया पोर्टल
पत्रकारिता के दिग्गजों का अभिनव प्रयोग
दिल्ली स्थित कॉल सेंटर से गाँव का प्रत्यक्ष जुडाव
और भी बहुत कुछ :पंचायत को मजबूत करने का नया संकल्प
गांव को बढ़ाओ, सब आगे बढ़ेंगे
किधर है अपना असली भारत? आजादी के 50 वर्ष बीत गए पर किधर है महात्मा गांधी के सपनों का भारत? असली भारत? गांवों का भारत? किधर है??? गांधी जी जितने अच्छे से भारत को और इसके जनमानस को समझते थे, उतना कोई नहीं। तभी तो महात्मा गांधी साफ-साफ कहते रहे, भारत गांवों में बसता है। जब तक गांवों का सामाजिक व आर्थिक विकास नहीं होगा, तब तक भारत का विकास संभव नहीं है। वे लोग भारत का ही नाश करेंगे जो गांवों को कमजोर करने का प्रयास करेंगे। गांधी जी का स्पष्ट तौर पर मानना था कि आजाद भारत के गांवों का मनुष्य अपनी गरिमा और गौरव को कायम नहीं रख पाएगा तो एक दिन देश की गरिमा भी नहीं बचेगी। गांधी जी तो कह गए। पर आज हो क्या रहा है? गांधी के जाते ही उनके चेले उन्हें भूल गए। राजपाठ करने वालों ने ऐसी नीतियां बनाईं, ऐसे नियम गढ़े कि कि उससे.... शहरों के अमीर और धनी होते गए, गांवों के गरीब वैसे ही दो जून की रोटी के लिए जूझते रहे। शहर में जगमग और गांव में लालटेन। शहर में नौकरी और गांव में बेकारी। शहर में फैशन और गांव में जी-तोड़ मेहनत। शहर में मल्टीप्लेक्स और गांव में मिट्टी। शहर में एक्सप्रेस-वे और गांव में उजड़ा खडंजा। शहर में होटल-माल और गांव का हाल बेहाल। क्या किया भारतीय मीडिया ने? परंपरागत मीडिया (अखबार, टीवी और रेडियो) ने बात तो गांवों की, पर हमेशा तवज्जो देते रहे शहर को, क्योंकि शहरों से मीडिया घरानों की कमाई होती है। विज्ञापन मिलते हैं। गांव में केवल प्रसार और दर्शक बढ़ाते रहे। टीवी हों या अखबार, सभी ने गांवों को छला है। आज मीडिया में गांव और गरीबों की बात की बजाय शहरियों के फैशन और शहरियों की तरक्की की ही बात होती है। आज की मीडिया शहर की मीडिया है। उसे असली भारत, गांवों के भारत से कोई लेना-देना नहीं। किसी मीडिया हाउस ने हर गांव में अभी तक रिपोर्टर तैनात नहीं किया। किसी ने गांवों को किसी तरह की मदद नहीं मुहैया कराई। अखबार पढ़िए तो सिवाय अपराध और दुर्घटना की नकारात्मक खबरों के, गांवों के बारे और कोई खास खबर नहीं होती। टीवी खोलिए तो सिर्फ शहरों की चकाचौंध की खबरें। गांव की बात आएगी तो नकारात्मक रूप में। झाड़-फूंक और सांप की खबरें दिखाई जाती हैं। गांव में कोई बीमार है, इलाज के बिना मर रहा है.....किसी मीडिया को चिंता नहीं। गांव में खेती फायदे का सौदा नहीं रही......किसी सरकार को चिंता नहीं। गांव में पुलिस आकर किसी को पीट देती है....कहीं कोई सुनवाई नहीं। भारत बनाम इंडिया जो लोग गांव से निकल कर सफल हो गए, बड़े हो गए, अमीर हो गए, उनकी ज़िंदगी में अब वक्त नहीं अपने गांव के लिए। न उन तक पहुंच पाती हैं गांव की खबरें और न कोई गांव वाला पहुंच पाता है उनके पास। गांव बनाम शहर। भारत बनाम इंडिया। गरीब बनाम अमीर। श्रम बनाम पैसा। बढ़ती जा रही है यह खाई। सरकारें राज करने में मगन है। नेता चुनाव जीतने के लिए चिंतित हैं। अफसर कुर्सी बचाने में परेशान हैं। पढ़े लिखे लड़के शहर भाग रहे हैं। गरीब मजदूर शहर भाग रहे हैं। क्या होगा गांवों का? कौन बचाएगा गांवों को? कौन उठाएगा गांव की असली आवाज? प्रधानजी.काम : एक बड़ी शुरुआत अपनी लड़ाई खुद लड़ने के लिए हम लोगों को खुद आगे आना होगा। गांव की ताकत ग्राम प्रधान में है। इसी ताकत की एकता का प्रतीक है प्रधानजी.काम। प्रधान.डाट काम एक बड़ी पहल है। बड़ी शुरुवात है। गांव को दुनिया से जोड़ने के लिए। सिर्फ और सिर्फ गांव की बातों, दुखों-सुखों, हालात-स्थितियों, अच्छी-बुरी खबरों को दुनिया तक पहुंचाने के लिए। ग्रामीण भारत के इस आनलाइन हिंदी मीडिया पोर्टल के जरिए गांवों को चिकित्सा, कानून, कृषि के बारे में विशेषज्ञों के सलाव और सुझाव दिए जाएंगे। मदद प्रदान की जाएगी। गांवों की खबरों को दुनिया तक पहुंचाने के लिए जरिया बनेंगे ग्राम प्रधान। लोकतंत्र में सबसे बड़ा निर्वाचित प्रतिनिधि होता है प्रधानमंत्री और सबसे छोटा निर्वाचित प्रतिनिधि होता है ग्राम प्रधान। तो इसी ग्राम प्रधान को अब मीडिया का हिस्सा बनाकर एक मुहिम शुरू की जा रही है, गांव को ग्लोबल हो चुकी दुनिया के साथ कदमताल करने के लिए। हर गांव व प्रधान की अब अपनी पहचान होगी। उसकी पहचान की खुशबू किसी एक शहर, प्रदेश या देश तक ही सीमित न होगा, वो पूरी दुनिया में देखा, पढ़ा और सुना जा सकेगा। गांव की गरिमा और गौरव को बचाने के लिए और विकास के रास्ते पर ले जाने के लिए जिस पंचायती राज व्यवस्था की कल्पना गांधी जी ने की थी, उसी पंचायतों के निर्वाचित मुखिया को हम ये जिम्मेदारी देते हैं कि वो अपने गांव के सुख-दुख, विकास, व्यथा, हालात के बारे में हमें रिपोर्ट भेजें। हम उसे इंटरनेट के जरिए और हिंदी भाषा के जरिए पूरे देश और पूरी दुनिया तक पुहंचाएंगे। गांव की सच्चाई शहर वालों तक पहुंचाने के लिए, सरकारों को सुनाने के लिए, दुनिया को बताने के लिए प्रधानजी डाट काम हर गांव के ग्राम प्रधान को अपनी बात कहने का मौका देगा। हर ग्राम प्रधान के बारे में विवरण इस मीडिया पोर्टल पर उपलब्ध होगा। अभी एक छोटी शुरुवात है, संसाधनों की कमी है, लेकिन जज्बा और हौसला बहुत बड़ा है। जिस दिन उत्तर भारत के हिंदी भाषा भाषियों के सभी ग्राम प्रधान इस मीडिया पोर्टल पर अपनी आवाज रखने में कामयाब हो जाएंगे उस दिन देश में एक शांतिपूर्ण क्रांति होगी। भारत के गांवों का मीडिया पोर्टल इस स्थिति में होगा कि वो विधायक, सांसद चुनने से लेकर मंत्री व सरकार बनवाने तक में गांवों के हित के लिए दबाव बना सके। प्रधानजी.काम के प्रमुख काम 1- लोकतंत्र के स्तंभ गांवों के निर्वाचित प्रतिनिधियों के बीच एकता व संवाद कायम करना 2- ग्राम प्रधानों को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया का प्रतिनिधि नियुक्त कर मजबूती देना 3- बतौर मीडिया प्रतिनिधि, ग्राम प्रधानों द्वारा उठाई गई आवाज को सार्थक मंच प्रदान करना 4- सभी ग्राम प्रधानों के जीवन के बारे में देश-दुनिया को मातृ भाषा हिंदी में जानकारी देना 4- गांवों के विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के साथ सभी संस्थाओं पर दबाव बनाना 5- ग्राम प्रधानों के जरिए ग्रामीणों को कानून, चिकित्सा, अध्यात्म व कृषि संबंधी मदद मुहैया
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